Post – 2015-03-07

पीले पत्तों का गीत

बसंत आया है हर ओर फूल आने लगे

हमारा रंग उड़ाते ये फूल आने लगे

कितनी चाहत से जनाज़े के फूल आए हैं

कितने काँटों में दुबक कर ये फूल आए हैं

‘अब तो मर जाओ ज़िंदगी से और क्या हासिल

‘फूल बन जाओ ज़िन्दगी से और क्या हासिल

‘याद बन जाओ ज़िंदगी से और क्या हासिल’

कई ज़ख्मों कई आहों की याद ले के चले

कई रंगों कई गंधों की आग ले के चले

चिता को चित्र बनाने को फूल आये हैं

खुद भी मिटने के इरादे से फूल आए हैं

2015-03-07