#शब्दवेध(64)
मनोजगत
मन (मत) – 1. जल (मीन – मत्स्य); 2. मन/मान/मत/मंत/वान/ वत/ वंत – युक्त (श्री) मान/मती/मंत, धनवान, भगवत/भगवंत। 3. चन्द्रना (मनो वै चन्द्रमा) चन्द्रमा मन से पैदा हुआ (चन्द्रमा मनसो जातः)। यही मन E. moon ( O.E. mona, G. mond, L. mensis),- a planet,(मस/ मनस) month (मास), lunar- (मास्य), nune- anything in the shape of half moon; lunacy – insanity (देखें, मन्मथ, मदन) ; lone, alone एकाकी, mon(o) एक- >monarch एकाधिकारी, Gr. monos- single; यूरोपीय प्रतिरूपों में मनस् या E, mind (L. mens) मस्तिष्क, mend, -ment, ment- (al/or), memo-, memory, menarche – the first menstruation, mend, menstruum, mention, को किसी एक संकुल से जिसमें द्रव, प्रकाश, ज्ञान, चिंतन. आशय, अल्पता, बहुलता, मध्यता (mean/ meaning, mean – low in rank of birth, mean – intermediate, main -L. magnus (?), maintain- to observe or practice ; to keep in existence or state को किसी एक सर्वसमावेशी सूत्र से जोड़ कर समझना संभव नहीं, क्योंकि वहाँ बिखराव है, इसलिए वहाँ हारिल की लकड़ी की तरह समान ध्वनि और अर्थ का आभास कराने वाले सजात (कॉग्नेट) शब्दों खोज की जाती रही और उसे ही व्युत्पत्ति बताया जाता रहा और आज भी बताया जाता है। यह काम भारत में हो सकता था जहाँ उल्टी थी, फिर भी यहाँ धातुओं की तलाश कर ली गई थी जो ध्वनि संकुल और अर्थ संकुल के नियम का अधिक सफलता से निर्वाह कर लेता था, जिससे नियम का भ्रम पैदा तो होता था पर उसी धातु से व्युत्पन्न विरोधी अरथों के सामने चें बोल देता था। गल/ ग्ल – पानी >ग्लानि>फा. गिला, अं गल्प/ ग्लो/ ग्लॉस, की अकाट्य सजातता के बाद भी किसी धातु या मूल (स्टेम) के सहारे नहीं समझा जा सकता।
[आज दो घंटे लैपटॉप खराब रहा, किसी आग्रह पर एक लेख भी पूरा करना था। आज से हमें जल और मनोजगत पर विचार करना था। पोस्ट पूरी न हुई, ऊपर का अनुच्छेद केवल उपस्थिति दर्ज करने के लिए। ]