Post – 2020-05-16

तुम न मानोगे हमारी न कहोगे अपनी
खत में क्या दर्ज है, कासिद, यह खबर रखते हैं।
दिल में क्या था, जिसे लिखने को सियाही कम थी
झिझक, हिचक पर नम आँखों पर नजर रखते हैं।
जो कलमबंद हुआ वह तो दिखावा है महज।
सादे सफहे भी अधिक उससे असर रखते हैं।
पता कोई हो किसी का हो यह बेमानी है
हम अपने दिल में जमाने का बसर रखते हैं।।