#इतिहास_दोबारा_लिखो
सभ्यता का चरित्र
मैंने अपने लेखन में वहां भी इस बात पर जोर दिया है, जहां यह दावा किया है कि सभ्यता का सूत्रपात भारत से हुआ और यह अन्य प्राचीन सभ्यताओं के उत्थान में उत्प्रेरक का काम करता रहा, कि इसका कारण हम नहीं हमारी भू-भौतिक परिस्थिति है। यह निवेदन करता रहा कि विगत हिमयुग में भारत की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के कारण देश देशांतर से असंख्य संस्कृतियों वाले समुदायों को इस भूभाग में शरण लेनी पड़ी थी।
आहार के स्रोतों की कमी के कारण वे आपस में लड़ते भी रहे, अपना बचाव भी करते रहे और बीच बीच में ऐसी स्थितियां भी पैदा हुई जिनमें वे एक दूसरे से सहयोग या युक्तियों का आदान-प्रदान भी कर सके तथा दूसरों के सहयोग से अपनी युक्तियों का उन्नत विकास कर सके जो अन्यथा संभव न था। इनके समन्वय से कृत्रिम उत्पादन, अर्थात्, कृषि और पशुपालन आरंभ हुआ, वह आर्थिक मूलाधार तैयार हुआ जिससे सभ्यता के कमल को खिलने का अवसर मिला।
यहां मैं यह याद दिलाना चाहता हूं कि आधुनिक सभ्यता के उत्थान में भी भारत की उत्प्रेरक की भूमिका है। ऐसा इसलिए नहीं कर रहा हूं यह सिद्ध कर सकूं भारत देश महान है। यदि होता तो हम आज भी यूरोप से आगे होते। यदि नहीं होता तो इतनी विशाल जनसंख्या का निर्वाह, इतने सीमित क्षेत्र में नहीं हो सकता था। आज भी, दुनिया के अग्रणी देश भी, इतनी बड़ी जनसंख्या को जगह देने के बाद, भारतीय जीवन-स्तर को संभाले रह सकते हैं, इस विषय में मुझे भारी संदेह है।
परंतु यह मैं इसलिए दुहरा रहा हूं कि हमारे मन में हीनता भाव पैदा करने के लिए हमें लूट कर मालामाल होने वाले, इस देश को, इ्सकी जमीन को, जलवायु को कोसते रहे और कई बहानों से बार-बार दुहराते रहे। इसका नतीजा यह हुआ कि पश्चिमी मान्यताओं के कायल भारतीय सचमुच यह मान बैठे कि खराबी इस देश के साथ ही है। शिक्षा से वंचित ग्रामीण किसानों तक ने अपने जिस आत्मविश्वास को नहीं खोया, उसे आधुनिक शिक्षा प्राप्त बुद्धिजीवियों ने खो दिया। उल्टे वे मानते रहे कि अशिक्षित व्यक्ति अपने देश और परंपरा पर इसलिए गर्व करता है, क्योंकि वह अज्ञानी है, परंतु यह न समझ सके कि जिसे वे ज्ञान समझते हैं वह विष है। ज्ञानी होना हीनताग्रंथि का शिकार हो जाना है, यह पश्चिमी शिक्षा का दुखद परिणाम है, शिक्षापद्धति का नहीं। वह हमारी परंपरागत शिक्षापद्धति से सचमुच उन्नत और सराहनीय है। मैं चाहता हूं कि पद्धति और अंतर्वस्तु के अंतर को समझा जाए। अभी तक ऐसा नहीं किया गया है।
पर साथ ही मैं मौके-बे-मौके भारत माता की जय बोलने वालों के देश प्रेम पर उतना ही संदेह करता हूं, जितना उचित अवसर पर इसका विरोध करने वालों पर। देश प्रेम करने वाले नारे लगा करे इसे साबित नहीं करते। वे अपने इरादों और कार्यों से इसे सिद्ध करते हैं।
अपने देश को प्रेम करने वाला, किसी भी देश से घृणा नहीं कर सकता। अपनी मां को प्यार करने वाला, किसी दूसरी मां से नफरत नहीं कर सकता। घृृणा कायरों का हथियार है। घृणा सार्थक विरोध और विकृतियों के निराकरण में बाधक है।
जीने मरने के द्वन्द्व के बीच दूसरे की जान लेने वाला, जहां ऐसी स्थिति न हो किसी की जान नहीं लेना चाहता। शौर्य का निकष यही है। युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया जाने वाला सिपाही हिंसा पसंद नहीं करता। एक आतंकवादी और योद्धा में बुनियादी अंतर यही है।
जो सैनिकों को आतंकवादी बनाना चाहते हैं वे अपनी ही सेना को चरित्र भ्रष्ट करते हैं। वे जो अपनी सेना के कारनामों और बयानों पर संदेह करते हैं, वे उस साख और आत्मबल की हत्या करते हैं जिसके बाद सेना के पास हथियार तो जुटाए जा सकते हैं, परंतु वह मनोबल नहीं उठाया जा सकता जो उन हथियारों को उठाने के लिए जरूरी है। यदि सैनिकों को छूट दे दी जाए तो सबसे पहले वे उनकी हत्या करेंगे जो उनके मनोबल की हत्या करते हैं। वे ज़ख्म झेल कर भी भारत माता की जय नहीं बोलते, कुछ ऐसा करते हैं जिससे भारत माता की जय हो और उस भावना में जब उनके मुंह से भारत माता की जय निकल जाए तो यह वंदना की, आराधना थी, पराकाष्ठा होती है। इसे पुजारी और पुरोहित नहीं समझ सकते। पुजारियों और पुरोहितों की तरह अपनी दान दक्षिणा पर ध्यान रखने वाले राजनीतिज्ञ नहीं समझ सकते।
सुना एयर इंडिया के नियमों में एक वाक्य जोड़ा गया है। कुछ लोगों का माथा इससे अवश्य तना होगा, मेरा झुक गया। अपने देश का सम्मान करने वाले दुनिया के किसी देश में ऐसा होता है क्या?
क्या आप समझ सकते हैं मैं लिख नहीं रहा हूं, रो रहा हूं। इसका ध्यान आंखों के नम हो जाने के बाद आया। जो लिखना चाहता था वह तो लिखा ही नहीं। लिखना तो पश्चिम के उत्थान में भारत का योगदान था। इसे कल लिखना पड़ेगा। अपने विषय से विचलित यह देख कर हुआ कि बुद्धिजीवियों से लेकर राजनीतिज्ञों तक सभी को अपनी रोटी और धोती की पड़ी है। राष्ट्र सम्मान तो दूर, देश प्रेम तो दूर आत्म सम्मान की भी चिंता नहीं है। इससे बड़ा राष्ट्रीय पतन क्या हो सकता है।