हममें से हिंदू कौन है
नाम नया है, पहचान बदलती रही है। कभी हिंदू के स्थान पर भारती का प्रयोग होता था। यह मौलिक नाम था। यह आटविक अवस्था में उत्तरी अटन क्षेत्र के लिए प्रयोग में आता रहा हो सकता है। भारत का आदिम भाव था, भरण-पोषण का क्षेत्र। बाद में एक राजा ने अपने पुत्र का नाम भरत अर्थात् अपनी प्रजा का भरण-पोषण करने वाला, रखा। परंतु यह उस ऋषि की पुत्री का पुत्र था जो अपने को भरतवंशी कहने पर गर्व करता था। कुछ लोगों ने उसके प्रताप के कारण यह मान लिया कि भारत का नाम उसी के नाम पर पड़ा होगा, जबकि उसका नाम स्वयं एक सदाशयी राजा, अर्थात् प्रजापालक के आशय में, अर्थात् कम से कम लगान वसूल करने वाले शासक के आशय में सोच कर रखा गया था।
आदिम चरण में दक्षिण भारत का एक अलग अटन क्षेत्र था जो मध्य प्रदेश तक फैला था और दूसरा उत्तरी अटन क्षेत्र जो मध्य प्रदेश पर जाकर समाप्त होता था। यह भेद सभ्यता के कई चरणों को झेलता हुआ, संज्ञाएं बदलता हुआ, आज तक जीवित है। इसकी प्रेरणाओं को समझने का कभी प्रयत्न नहीं किया गया। उत्तरी अटन क्षेत्र की संज्ञा जो भी रही हो, इसी के लिए भारत का, आर्यावर्त का, मध्यदेश का, हिंदुस्तान का प्रयोग हुआ। इसे जब भारत कहा जाता था तब इसके निवासियों के लिए भारती का प्रयोग होता था या नहीं यह जानने का हमारे पास कोई उपाय नहीं है। परंतु उत्तर के अटन क्षेत्र के दक्षिण के संपर्क से जो बृहद इकाई बनी थी और जिसे भारतवर्ष कहा जाता था उसके निवासियों के लिए भारती का प्रयोग होता था। अर्थात् भारती अकेला शब्द है जो उत्तर से दक्षिण तक के समूचे भू भाग के निवासियों के लिए प्रयोग में आ सकता था। विष्णु पुराण में भारतवर्ष का सीमांकन था वह भूभाग जो समुद्र से उत्तर की दिशा में और हिमालय से दक्षिण में आता है ।
आजकल हम भारती की जगह भारतीय का प्रयोग करते हैं। परंतु इसमें वह भारतवर्ष नहीं आता क्योंकि आज का भारत सर्वप्रथम इंडिया है, और इसे भारत भी कहा जा सकता है। अपनी मानसिक कुंठा के कारण, न तो हम यह जानते हैं कि हम अपना नाम तक नहीं जानते, न यह जानते हैं कि यह नाम पड़ा क्यों, और यदि सचमुच जानते हैं तो इतने नासमझ हैं कि अपने लिए सही शब्द का चुनाव तक नहीं कर पाते। हमारा संविधान उनके द्वारा लिखा गया जो इंग्लैंड में पढ़े लिखे थे, इंग्लैंड मैं बैठकर भारत को देखते थे, दूसरों से पूछ कर अपने को पहचानते थे। भारत के लिए इंडिया एक अनुचित संज्ञा (मिसनोमर) है, क्योंकि इससे सिंध के उपत्यका क्षेत्र का बोध होता था जो फैल कर सिंधु के पार के उस पूरे उत्तर भारत के लिए प्रयोग में आने लगा जिसे कभी हिंदुस्तान और रामविलास शर्मा के शब्दों में हिंदी प्रदेश और हाल ही में अंग्रेजी के भक्तों द्वारा काउ-बेल्ट कहा जाने लगा है। यह याद दिला दें कि हिंदुस्तान भारतीय चेतना में कभी उस पूरे प्रदेश का द्योतक नहीं रहा जिसे आज के इंडिया या भारत में समाहित किया जाता है। बंगाली आज भी हिंदी भाषी क्षेत्र के लिए हिंदुस्तानी प्रयोग करता है, पंजाबी तक करता है और मध्यकाल में महाराष्ट्र तक पहूंचने वाले मुगल सैनिक भी लंबे समय तक उधर रह जाने के बाद भी हिंदुस्तान लौटने के लिए लालायित रहते थे।
आपको तय करना है कि आप इंडियन हैं या हिंदू है या भारतीय या भारती?