सपनों के बीच जाग रहा है यहीं कहीं
जिसको कई अपनों ने कई तरह से मारा।
जिन्दा नहीं बचा है कहीं तुममें भी गाँधी
तो यह तो बताओ उसे किस जहर से मारा।
सपनों के बीच जाग रहा है यहीं कहीं
जिसको कई अपनों ने कई तरह से मारा।
जिन्दा नहीं बचा है कहीं तुममें भी गाँधी
तो यह तो बताओ उसे किस जहर से मारा।