Post – 2018-09-28

आरक्षण के एक प्रभाव पर किसी का ध्यान नहीं है। मुसलमान शूद्रों का पेशा अपना चुके हैं, उन्हे इससे राहत है। जिनका यह पेशा था वे आरक्षण का लाभ उठाकर सफेदपोशी औरआराम तलबी की नौकरी की उम्मीद में बेरोजगारों की फौज बनते जा रहे हैं। जरूरत आरक्षण से अधिक नई कार्य संस्कृति की है। दुनिया की कोई सरकार इतने रोजगार नहीं पैदा कर सकती कि अपना काण छोड़कर बेकार होने वातों को काम दे सके। जरूरत मजदूरी की दर बढ़ाने और श्रम संस्कृति के सम्मान की है।