गुलाम निजी पहल से काम करने और अधिक श्रम करने से भागता है पर मालिक के भय या प्रलोभन से सबसे अधिक श्रम उसे ही करना पढ़ता है। फेसबुक आईना है, अपना चेहरा देखे। बन्द आईने तुम हो तो तुम्ही तुम हो जनाब। और कुछ है ही नही, और कहीं कोई नहीं।
गुलाम निजी पहल से काम करने और अधिक श्रम करने से भागता है पर मालिक के भय या प्रलोभन से सबसे अधिक श्रम उसे ही करना पढ़ता है। फेसबुक आईना है, अपना चेहरा देखे। बन्द आईने तुम हो तो तुम्ही तुम हो जनाब। और कुछ है ही नही, और कहीं कोई नहीं।