कितनी यातना से गुजरने के बाद व्यक्ति सत्य का साक्षात्कार करता है! कितने साहस की जरूत होती है उसे कहने के लिए! और यदि उसने कह ही दिया उस सच को तो वे लोग उसके खून के प्यासे हो जाते हैं जो समाज मे सत्य के ठेकेदार होते हैं, क्योंकि सबसे पहले उससे वे नंगे होतें हैं।