Post – 2018-05-08

#आप का सही होना उतना जरूरी नहीं है जितना यह कि जिसे आप सही समझते उस पर तब तक निडरता से डटे रहें जब तक उसके सही होने पर सन्देह न हो जाय और उसके बाद तब तक छानबीन करते रहें, जब तक सचाई का पता न चल जाय, गो इसका भी सही होना जरूरी नहीं। सचाई एक तलाश है, एक प्रक्रिया है, न कि उपलब्धि। यह जिज्ञासा को जीवित रखने का दूसरा नाम है। यह अपने से असहत होने वालों के प्रति सहिष्णु और असहमतियों के बीच अपने विचारों पर दृढ़ रहने की शक्ति देता है। अन्तिम सच का दावा करने वाले जड़ हो जाते हैं, उनकी जिज्ञासा मर जाती है। वे सिरज नहीं सकते, पर ध्वंस और संहार कर सकते हैं। #सामी #धर्मों, जिनमें अंतिम #कम्युनिज्म है, की शक्ति और त्रासदी का रहस्य यही है -, अन्तिम सत्य का दावा। इसीलिए #हिन्दुत्व की रक्षा केवल हिन्दुओं के नहीं, मानवता के हित में है जिसके सबसे बड़े शत्रु हिन्दुत्ववादी हैं जो भी उतने ही जड़ हैं, उतने ही जिज्ञासाशून्य। इन सभी के दबाव के बीच हिन्दुत्व की ऱक्षा एक चुनौती है।