प्रसन्नता और उल्लास के द्योतक शब्द और जल
हम प्रसन्नता और उल्लास से संबंधित कुछ शब्दों पर विचार करेंगे यूं तो हमने देखा कि हमारे यहां दुख ग्रीष्मकालीनउष्णता और जल के अभाव से अशोक और उल्लास को जल की सुलभता से भरपूर स्थिति के रूप में कल्पित किया है और इसलिए मोटे तौर पर हम यह मान सकते हैं प्रसन्नता और उल्लास से संबंधित शब्दावली का जलसे गहरा संबंध होगा । फिर भी यह जरूरी हो जाता है कि हम कुछ शब्दों को लेकर चर्चा करें सबसे पहले तो इनमे सुख ही आता है जिस पर हमने आज की ही तिथि तिथि में 1 साल पहले विचार किया था और इसलिए उसे आज की तिथि में शेयर कर लिया है उसके पहले पैराग्राफ को मैं यहां दोबारा उद्धृत करना चाहूंगा
सुख/चुक – १. पानी, २. सुख, ३. चोका= धारोष्ण दुग्ध पान , २>४- सौख्य > ५. फा. शौक / शौक़ीन, ६- सोखना > ७- सूखना>८. सं. शुष्क, ६>९. शोषण / शोषित /शोषक, १०. चोषण, ११. चूसना, १२. चस्का, १३. सु- (उपसर्ग) १४. सु-तर (सुंदर),> १५. सुधर /सुधार, १६. सं.(धातु) चूष पाने, १७. शुष शोषणे.
हमने अपनी सीमा के कारण यूरोपीय प्रतिरूपों को छोड़ दिया. ऊपर के आंकड़ों पर ध्यान दें तो धातुओं से ये शब्द नहीं निकल रहे हैं. धातुएं इस शब्दभंडार में से कुछ को समझने के लिए गढ़े घटक हैं. यात्रा धातु से शब्द की ओर न होकर क्रिया विशेष से उत्पन्न ध्वनि से शब्द श्रृंखला से धातु की दिशा में हैं और अब यह धातु उनमें से कुछ का अर्थ समझने में तो सहायता करेगी पर इस पहेली का जवाब न दे पायेगी कि इस ध्वनि से वह अर्थ जुड़ा कैसे.
साथ ही यह भी संकेत करना चाहूंगा अंग्रेजी का suck, succulant, succour, success, shake और नकारात्मक shock , sick, आदि शब्द उसी के सगोत हो सकते हैं.
उल्लास
उल्लास में दो शब्द हैं एक उपसर्ग के रूप में आया है जो उद या उदक है, दूसरा लास है, जिसे समझने के लिए भोज. का लासा पर ध्यान देना उचित होगा रस, लस, रास, लास, लास्य, लासा, लसित, के बीच के संबंध को स्पष्ट करने की आवश्यकता नहीं रह जाएगी। हां अंग्रेजी के lass बालिका, प्रिया, less कम, loss हानि, lusture चमक, lash कशा, lacerate कोड़े लगाना, last ठिकाना, चलना, सब के बाद, बचा हुआ आदि में रस और उसके वैकल्पिक रूप लस की भूमिका पर है अवश्य लंबी चर्चा की आवश्यकता होगी जिसके अपने खतरे में हैं इसलिए हम उसको इस श्रृंखला मैं सांकेतिक रूप में रख सकते हैं परंतु lact- दूध के विषय में किसी प्रकार की बहस की जरूरत नहीं रह जाती.
विनोद
विनोद एक अर्थ दूर भगाना भी है जिसकी ओर ध्यान सामान्यतः नहीं जाता केवल है इसके पक्ष की और हमारा ध्यान जाता है. इस मैं आए उपसर्ग वी के विषय में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं. हम पहले विचार कर आए हैं. नोद को नुद धातु से व्युत्पन्न किया जाता है. ऋग्वेद में इसका प्रयोग एक स्थल पर जल भंडार को ऊपर उठाने (ऊर्ध्वं नुनुद्रे अवतं त ओजसा – उन्होंने अपनी शक्ति से जल भंडार को ऊपर उछाल दिया: ऊर्ध्वं नुनुद्र उत्सधिं पिबध्यै – पीने के लिए जलराशि को ऊपर हल्दिया ) तिरछी धार से जल की धारा निकलने (जिह्मं नुनुदे्र अवतं तया दिशा सिंचन् उत्सं गोतमाय तृष्णजे) के संदर्भ में हुआ है. संस्कृत में इसका प्रयोग अलग हटाने दूर भगाने के आश्रय में होता रहा है. संभव है तिरछी धार वाले भाव से विनोद की चुहल का सम्बन्ध मनोभाव के स्तर पर हो.
प्रसन्नता
हम हैं संकेत रूप में यह कह आए हैं कि सभी उपसर्गों का स्रोत जल है. प्र/ प्ल की जलर्थकता हमें ज्ञात है. परंतु जब उसका प्रयोग उपसर्ग के रूप में हो तो हमें उसके वैशिष्ट्य वाले अर्थ से ही संतोष कर लेना चाहिए. सत, सद का भी एक अर्थ जल होता है दूसरा होना या विद्यमान होना अच्छा होना आदि है जिससे सत्ता आदि शब्दों का जन्म हुआ है इसी से सीदतु भवान – आप आसन ग्रहण करें, आ नः शृण्वन् ऊतिभिः सीद सादनम् – हमारी गुहार सुनकर अपने संरक्षण के साथ हमारे घर पर विराजमान हो जैसे प्रयोग देखने में आते हैं.
हम उमंग, तरंग, मन के डोलने, चलने, आनंद की हिलोरों, मस्ती में झूमने आदि पर बिना बहस के यह समझ सकते हैं कि इनका सम्बन्ध केवल जल से है.