चमकता हुआ अंधेरा
(इस लेख में पहले लिखे लेखों के आंकड़ों का उपयोग करूंगा)
आपने अभी इस बात पर सोचा है जान दिया है ध्यान दिया है की अंधेरे के लिए हमारी भाषा में कोई अलग शब्द नहीं है हमने अंध की बात की थी और बताया था उसका अर्थ सोमरस (पाहि मध्वो अन्धसः) भी होता है मादक पेय (अमन्दत मघवा मध्वो अन्धसः) भी होता है और यदि जल (यद्वा समुद्रं अन्धसः) है तो कांति तो होगी ही। अन्धस उसी श्रृखला का शब्द है जिसमे अद, उद, इद, इंद, इंदु, अन्न, आदि आते हैं । यह अलग से कहने की जरूरत नहीं कि इन सबका अर्थ जल है और आप कह सकते हैं कि इंदु= चंद्रमा का अर्थ जल है, या उसकी संज्ञा जल की कांति पर आधारित है।
अंधेरे के लिए एक दूसरा शब्द तम है इसका प्रयोग ऋग्वेद में भी अंधकार के लिए हुआ तम आसीत तमसा गूढ़ं अग्रे, आरम्भ में अंधकार अंधकार में लिपटा हुआ था । परंतु तमकना, तामा / ताम्बा (ताम्र), तांबूल, तामरस से स्पष्ट है इसका अर्थ चमकने, दमकने या लालिमा है। इसकी विकास प्रक्रिया कुछ टेढ़ी है। मत, मद, मध्, मदु, मधु श्रृंखला में आता है । इसमें भी प्रत्येक शब्द का एक अर्थ जल है। मत वर्ण विपर्यय से तम बना है जल की चमक वाला भाव इसमें बना रह गया है जिसे ललौहे पदार्थों के लिए रूढ़ किया गया और फिर विरोध से अंधकार के लिए ।
मसि = स्याही या रोशनाई बनाने के लिए कालिख का प्रयोग किया जाता है। मसें भीगना =दाढ़ी मूंछ की रोमारेखा के लिए प्रयोग में आता है। जैसा कि रोशनाई से प्रकट होता है, इसमें भी रोशनी या प्रकाश का भाव है, न कि अंधेरे का । रोशनी उसी रुष से व्युत्पन्न है जैसे रोष। मस का अर्थ है ‘चमकने वाला’। इसी का मस और मास दोनों रूपों में चंद्रमा के लिए प्रयोग होता है। मास महीने के लिए रूढ़ हो चुका है जिसका अर्थ है चंद्रमा की एक परिक्रमा। मस और मास फारसी में मह और माह बन जाते हैं जिनका अर्थ चाँद होता है पर माह महीना के लिए रूढ़ सा है। अंग्रेजी में मास प्रतिरूप मंथ, मून से निकला। फारसी में चाँद के लिए महताब का भी प्रयोग होता है। सामान्यतः ताब का प्रयोग ताप और प्रताप के लिए होता है पर मह के साथ प्रयोग में आने पर इसमें गर्मी चमक बन जाती है।
यदि हम संस्कृत और अंग्रेजी में चंद्रमा के लिए प्रयुक्त चंद्र्मन पर ध्यान दें तो पता चलेगा इसमें तीन शब्द हैं। चन्+ द्र+मन् इन तीनों का एक अर्थ पानी है, दूसरा चमक है और तीसरा चंद्रमा (चन >चान, तर/तार का प्रकाश वाला भाव तर+णि और तारा की दिशा में स्थिर हुआ और मन को अंग. मून में लक्ष्य किया जा सकता है) कहें हम चंद्रमा कहते समय हम चाँद के तीन पर्यायों को मिला कर एक शब्द बना लेते हैं । परंतु चंद्रमा की संस्कृत रूपावली में मस् का प्रवेश हो जाता है चंद्रमा- चंद्रमसौ – चंद्रमसः और अब प्रकारांतर से चार शब्दों का एक साथ प्रयोग करते हैं।
अन्धकार का एक पर्याय है तिमिर । इसमें प्रयुक्त तिम का अर्थ जल है जिससे तिमिंगल = मत्स्य, महामत्स्य निकला है। इसका प्रकाश का भाव टिमटिमाना, टीम-टाम, टीमल- सुन्दर, में बचा रह गया है. (असमाप्त)