सोचना अपने आप से टकराना हे, अपनी बद्धमूल धारणाओं को जांचना, अपनी गांठों को खोलना। यह आत्ममंथन है। अंतर्द्न्द्व। जो लोग लंबे समय से किसी एक ही मत पर कायम हैें उन्होंने उतने समय से सोचना स्थगित कर चुके हें।
सोचना अपने आप से टकराना हे, अपनी बद्धमूल धारणाओं को जांचना, अपनी गांठों को खोलना। यह आत्ममंथन है। अंतर्द्न्द्व। जो लोग लंबे समय से किसी एक ही मत पर कायम हैें उन्होंने उतने समय से सोचना स्थगित कर चुके हें।