न्यूज चैनेलों को आप सुन सकते हैं सुना नहीं सकते। एनडीटीवी पर सांप्रदायिक उग्रता के विस्तार पर प्राइम में, चिन्तातुर मुद्रा में किसी न किसी बहाने नित्य कुछ कहा जाता है तो मैं एक सवाल पूछना चाहता हूँ, यह उग्रता रागा की रहस्यमय अनुपस्थितियों और कैंब्रिज ऐनेलिटिका की सक्रियता के बाद ही क्यों आरंभ हुई? कि NDTV कैम्ब्रिज अनेलिटिका से जुडा है या नहीं?
यह उग्रता केवल सांप्रदायिक सवालों पर नहीं है, सामाजिक, आर्थिक सभी सवालों पर है। उग्रता हमारी राष्ट्रभाषा बनती जा रही है। इसलिए, केवल बाहर नहीं है, संसद के भीतर भी है। संसद है पर नहीं है इसलिेए लोकतंत्र है पर नहीं है। देश है पर हमारा नहीं है।