हमारा सोचना अलग हो सकता है, लड़ना तो अलग नहीं हो सकता। उसके लिए तो गुत्थम गुत्था होना ही पड़ता है। विचार की दुनिया में दोनों बने रहें तो दुनिया कायम है।
हमारा सोचना अलग हो सकता है, लड़ना तो अलग नहीं हो सकता। उसके लिए तो गुत्थम गुत्था होना ही पड़ता है। विचार की दुनिया में दोनों बने रहें तो दुनिया कायम है।