टूटती चट्टान के उड़ते हुए जर्रों को देख
वे न दीखें, खाक से उठते हुए बन्दों को देख
कम है बीनाई अगर तो देख गिरती चोटियां
शाह के जादों को देखा उनके फरजन्दों को देख।।
टूटती चट्टान के उड़ते हुए जर्रों को देख
वे न दीखें, खाक से उठते हुए बन्दों को देख
कम है बीनाई अगर तो देख गिरती चोटियां
शाह के जादों को देखा उनके फरजन्दों को देख।।