Post – 2017-12-14

टूटती चट्टान के उड़ते हुए जर्रों को देख
वे न दीखें, खाक से उठते हुए बन्दों को देख
कम है बीनाई अगर तो देख गिरती चोटियां
शाह के जादों को देखा उनके फरजन्दों को देख।।