लगती हर एक आखिरी धड़कन मेरे दिल की
गो काम पहाड़ों सा पड़ा है मेरे आगे।
तनहा हूं, अंधेरा है, डगर सूझती नहीं
तू है तो बता और कोई है मेरे आगे।।
लगती हर एक आखिरी धड़कन मेरे दिल की
गो काम पहाड़ों सा पड़ा है मेरे आगे।
तनहा हूं, अंधेरा है, डगर सूझती नहीं
तू है तो बता और कोई है मेरे आगे।।