Post – 2017-12-03

खलिश है बस खलिश जो आग को पत्थर बनाती है
वही है पत्थरों को तोड़ कर आंसू बहाती है।
कभी दरिया, कभी झरना, कभी सिसकन कभी धड़कन
कभी गुल या कि बन कर शूल तेरी याद आती है।।