Post – 2017-11-04

याद करता हूं तुझे खुद को भूल जाता हूं।
तुमने भी याद किया है, कभी मुझको ऐसे ।।
बहुत मुश्किल है संभलना फरेब से अपने
सच अगर माना तो क्या मुझसे कहा है ऐसे।
नहीं, हर्गिज नहीं, पर सच से जुदा है क्या यह
सच के नुस्खों में ही सच ढूंढ़ रहे हों जैसे।
अपनी बर्वादियों के साथ खड़े हैं तन कर
फिर भी पहले भी हुए लोग हैं कैसे कैसे।।