अलोक भारद्वाज की पोस्ट वीर सावरकर कौन थे, पढ़ें. अवश्य पढ़ें.
उनकी निंदा करनेवालों का पूरा जवाब यह है कि आप उन्हें जानें और यह समझें कि उनकी मर्यादा को नष्ट करने वाले कितने बददिमाग है. मैं उसे शेयर नहीं करता जिसके कुछ कारण हैं, आप कर सकते हैं, करना चाहिए जिससे उनसे पूछ सकें कि आप ने कुछ भी ऐसा किया हो कि आप सावरकर के पांव के कटे हुए नाखून के बराबर हो सकते हो तो मैं आपकी आरती उतारने का समय मांगूंगा. सावरकर के हिन्दू सरोकार बहुत साफ़ हैं, सर सैयद अहमद के मुस्लिम सरोकार उतने ही साफ़ हैं. इन पर इस दृष्टि से पुनर्विचार होना चाहिए, पर इन दोनों में किसी एक को लांछित करने के लिए जिस कद की जरूरत है वह भारत में न तब था जब यह हिंदुस्तान था न अब जब भारत को हिन्दुस्थान में बदल दिया गया.