मैं नस्लवाद के यूरोपीय रूप को गर्हित मानता हूं। उसके भारतीय रूप जातिवाद को भी गर्हित मानता हूं। शास्त्रों को तर्कातीत मानने वालों को हिन्दू कठमुल्ला मानता हूं। ऐसे लोगों से संवाद संभव नहीं फिर मैत्री कैसे संभव हो सकती है।
मैं नस्लवाद के यूरोपीय रूप को गर्हित मानता हूं। उसके भारतीय रूप जातिवाद को भी गर्हित मानता हूं। शास्त्रों को तर्कातीत मानने वालों को हिन्दू कठमुल्ला मानता हूं। ऐसे लोगों से संवाद संभव नहीं फिर मैत्री कैसे संभव हो सकती है।