तस्लीमा नसरीन ने जयपुर साहित्य पर्व में कुछ रोचक तथ्यों का खुलासा कियाः
1. जब मैं हिन्दू या ईसाई धर्म के खिलाफ लिखती हूं तो कुछ नहीं होता, लेकिन जैसे ही मुस्लिम कट्टरपंथ के ख्लिाफ लिखती हूं तो मेरे खिलाफ फतवा जारी हो जाता है।
2. फतवा जारी करने वालों को तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोगों का संरक्षण रहा है।
3. कोलकाता में सरेआम फतवा जारी करने वाले और मेरे सर पर इनाम रखने वालों को ममता बैनर्जी का संरक्षण है । वे ममता बैनर्जी के दोस्त हैं ।
4. हिन्दू समाज में महिलाओं के अधिकारों की बात करें तो कोई विरोध में नहीं उतरता और मुस्लिम महिलाओं के हक की बात करें तो जानलेवा हमला हो जाता है ।
इसमें अलग से यह जोड़े कि पूरी गोपनीयता और सुरक्षा के कड़ प्रबन्ध के बाद दिग्गी पैलस के बाहर प्रदर्शन करने वालों के हंगामे के डर से संयोजक संजोय राय ने उनसे माफी मांगी कि भविष्य में सलमा नसरीन और सलमान रश्दी जैसे लेखकों को जिनको ले कर मुस्लिम कट्टर पंथियों से लेकर मौन स्वीकार की भाषा में लगभग सभी मुसलमानों और तथाकथित सेक्युलरपंथियों का विरोध है, वे इस समारोह में नहीं आमन्त्रित करेंगे।
जब मैं कहता हूं कि सेक्युलरिज्म के मुखौटे के पीछे मुस्लिमलीग का चेहरा और कार्ययोजना है इसलिए वह सांप्रदायिकता को जिलाए रखना और सामुदायिक नफरत की खेती करना चाहता है और इस माने में वह उनके साथ एक ही अखाडे़ में कम्युनल कबड्डी खेलता है जिनको हिन्दू संप्रदायवादी कहता है तो उसका आधार इस तरह के अनुभव ही होते हैं।
काल्पनिक असुरक्षा और वास्तविक असुरक्षा में भेद न कर पाने वाले, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का काल्पनिक भय दिखाते हुए गाली गलौच तक करने वाले, और अभिव्यक्ति के वास्तविक संकट के बीच फर्क न कर पाने वाले और दिग्गी पैलेसे के बाहर हुडदंग मचाने वाले कट्टर पंथियों की तरह ही अकारण हंगामा मचाने वाले इस पूरे प्रकरण पर चुप रहेगे यह संभावना नहीं अनुभव सिद्ध सत्य है ।