Post – 2016-09-21

जिन्हें अपना समझते हैं उन्हें भी देखिए साहब
बुलाते हैं करीब आओ मगर अपना नहीं सकते ।
पले नफरत के साये में बढ़े अपनों को ठुकराते
उसी से मुक्ति पानी है मगर हम पा नहीं सकते ।