राजनितिक अधोगति और संवेदन-शून्यता इस पराकाष्ठा पर पहुँच सकती है यह सोचकर घबराहट होती है. यह योजनाबद्ध रूप में घटित हुआ. यह मैं नहीं कहता आप का विश्वास कह रहा है. यह पुरानी भाषा में स्खलक्षर न्याय और फ्रायड के विश्लेषण में साइकोलॉजी ऑफ़ errors में आता है. उसका लिखा नोट लिखवाया हुआ है और उसका फन्दा लगाने से पहले का इंतज़ार और चारों ओर देखना और फिर यह देखकर की जिनको उसे बचने के लिए शोर मचाना था, उसकी और बचने के लिए दौड़ना था वे नज़र फेर ले रहे हैं, झाड़ू लहराते हुए चीखना जिसे रिकॉर्ड नहीं किया जा सका वास्तविकता का ऐलान. मंडल विरोध में जो विश्वासघात आत्मदाह के लिए तैयार होने वाले युवक के साथ हुआ था, कुछ वैसा ही यहाँ दीखता है.
वह प्राकृतिक आपदा के लिए ज़िम्मेदार नहीं था, इसलिए उसका पिता उसे अपने घर से इस कारण निकाल नहीं सकता था. प्रकृति के प्रकोप के बाद भी उसके घर में शादी थी. ऐसे में किसी को घर से निकाला नहीं जाता. वह किसान नहीं था किसान का बेटा था. आप का समर्थक था. तैयार किया गया था और तैयार हो कर आया था. उस रैली में जिसे केजरीवाल ने मोदी को कठघरे में खड़ा करने के लिए आयोजित किया था . उसकी चीख पर ध्यान नहीं दिया गया. एक्ट पूरा होने तक. फिर मंच से पुलिस पर दोषारोपण और पुलिस अपने अधीन न होने की राजनीति शुरू गई. फिर भी आप मानेगे यह किसान की आत्महत्या थी?