Post – 2015-05-20

जो कुछ नहीं कह पाते, तड़पते ही हैं अक्सर
तुम उनको कहा करते हो वे कुछ नहीं कहते
हम इतना कहा करते हैं हर सिम्त हमी हम
क्या सच नहीं हम बकते हैं और कुछ नहीं कहते.
5/20/2015 9:39:38 PM