हरसिंगार के फूल
फूले ही क्यों तुम
इतना दुर्बल मूल दंड
ढो न पाए अपना ही मकरंद भार
खिलने के साथ ही लुढक गए धूल में
पहली किरण की आंच से
सच का सामना तो करते
ओस के कण से भी कम पवित्र
फिर भी इतना अहंकार
3/31/2015 9:16:44 PM
हरसिंगार के फूल
फूले ही क्यों तुम
इतना दुर्बल मूल दंड
ढो न पाए अपना ही मकरंद भार
खिलने के साथ ही लुढक गए धूल में
पहली किरण की आंच से
सच का सामना तो करते
ओस के कण से भी कम पवित्र
फिर भी इतना अहंकार
3/31/2015 9:16:44 PM