Post – 2020-02-28

धुँए से रोशनी पैदा अगर होती तो अच्छा था
परेशानी हमारी कारगर होती तो अच्छा था।
बँटे हैं, और टूटे हैं, तभी जब जुड़ना चाहा है,
हकीकत है, मगर इसकी खबर होती तो अच्छा था।
‘हमारा घर तुम्हारे भी लिए है फूँकने वालो’,
सुखन-तकिए की हद की भी समझ होती तो अच्छा था।
बहुत अच्छा था, देखे पर, सुने पर, हम यकीं करते
यह तकरीरों की महफिल मुख्तसर होती तो अच्छा था।
सभी को है समझ दिल था वहाँ से हट गया सा है
फटा कितना है, कैसे, किस कदर होती तो अच्छा था।।