मैं एन एक नई यातना से गुजर कर अपने को नए रूप जीवित पाया है। अब सुधार ही होगा यह विश्वास है।
मुझे आज तक विश्वास कि आक्रोश में किसी ऐसे को भी ऐसे कठोर शब्द नही जिससे अकेले में भी पढ़ कर भी ग्लानि हो। पहली बार ऐसा कह रहा हूँ कि मेरे यह निवेदन के बाद भी कि “कोई कमेंट नहीं” जो ऐेसा न कर सके उनको बौद्धिक विवेक, जानकारी रूप, मानवी य संवेदेना तीनों दृषियों से शू्न्य पाता है।