Post – 2020-01-16

शुरू जहाँ भी हुई बात यहाँ पहुँची है-

सामना हो तो कहेंगे हजार साल जिओ
पर गरेबाँ का, गिरह का हिसाब रखते हैं।
यह मुहब्बत है तो नफरत भी पशेमाँ हो जाय
नाम नफरत का भी प्यारा जनाब रखते हैं।।
जिन्दगी अपनी किसी शर्त पर अपनी तो न थी
खयाल उन पर छोड़ कर भी ख्वाब रखते हैं।।
आप ले जाएँ, रोशनी को अगर सह पाएँ
हम आप का दिया अपना सुराब रखते हैं।।
चाँद प्यारा है हमें आपकी खुशी के लिए
हम अपने पास सिर्फ आफ़ताब रखते है।।
हुस्न की वादियों में फूल हर कदम पर हैं
गमक हर एक की हम ही सँभाल रखते हैं।।
याद किस दौर की जोड़े है आज भी हमको
क्या कभी आप भी इसका खयाल रखते हैं?