Post – 2019-12-19

तात्कालिक लाभ दूरगामी अहित में बदलने जा रहा है। इसकी चिंता जिन्हें होनी चाहिए उन्हें ही नहीं है। लोकतंत्र और संविधान और न्यायतंत्र को भीड़तंत्र के हवाले कौन कर रहा है? अपने ही बनाए कानून का उल्लंघन कौन कर रहा है? न्यायिक विकल्प की उपेक्षा कौन कर रहा है? तानाशाही को कौन आमंत्रित कर रहा है?