#संस्कृत_भाषा_का_अपमान
किसी व्यक्ति को अपना दास बना कर रखना, कारागार में बंद रखना उसका अपमान है। ठीक इसी तरह अपने स्वार्थ के लिए भाषा को दासी बना कर रखना उसका अपमान है। ब्राह्मणों ने संस्कृत भाषा और भारतीय समाज और सभ्यता का लगातार तिरस्कार किया और आज भी कर रहे हैं। ब्राह्मणों का ब्राह्मणवाद मुसलमानों के मुल्लावाद से रत्ती भर कम नहीं है। यह आज के पढ़े लिखे ब्राह्मणों में भी कितना प्रबल है इसे बनारस के संस्कृत के छात्रों ने, उनका समर्थन करने वाले अध्यापकों ने, उनके बवाल का समर्थन करने वाले सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों ने, इस पर चुप्पी साधने वालों ने, सिद्ध कर दिया। भाषा को धर्म की भाषा बना कर रखना उसे भाषा के अधिकार से वंचित करना है। हिन्दुत्व का सबसे बड़ा शत्रु ब्राह्मणवाद है जिसमें सभी हिंदुओं तक के लिए सम्मान नही है।