#इतिहास_की_जानकारी और #इतिहास_का_बोध (28)
#भारत_की_खोज-दस
ज्ञान की सीमा है परंतु विश्वास कि नहीं। यह सभी देशों और समाजों में पाया जाता है। ज्ञानी और विज्ञानी भी अपने संस्कारों के कारण विश्वास और अंधविश्वास के शिकार हो जाते हैं। जल प्रलय की बात इस सीमा तक तो सही है ही कि यह बहुत बड़े पैमाने पर घटित प्राकृतिक आपदा थी, जिसे भूचाल जनित सुनामी के उग्रतम प्रहार के में देखा जाना चाहिए। इसे जिस मिथकीय कलेवर में अंकित किया गया था, उसकी परंपरा भारत में ही रही है, ऐसा विलियम जोंस के भाषणों से पता चलता है। विविध देशों के मिथकों के कथाबंध में जो समानताएं हैं, उससे लगता है, यह जहाँ घटित हुई थी वहीं यह कथा गढ़ी गई थी और वही दूसरी कथाओं का आधार है। वह हिंदुओं का देश था। यहाँ तक जोंस भी सहमत दिखाई देते हैं। परंतु स्वय हिंदू कहाँ थे और उनका देश कहाँ था, असहमति यहाँ है।
उनका दावा यह है कि घटना आमू दरया और फरात तथा भारतीय सीमा से लेकर काकेशस पर्वत के बीच घटित हुई।
उन्होंने अपने तीसरे व्याख्यान से ले कर नवें व्याख्यान तक जो कुछ पेश किया है उसका सार यह कि इस प्रलय से बचा हुआ परिवार उत्तर ईरान मेंं बसा।
आगे की कहानी इस प्रकार है:
“जब उनकी संख्या बढ़ गई तो वे तीन अलग भागों में बँट गए। सभी के हिस्से में साझी भाषा का कुछ अंश आया जो धीरे धीरे लुप्त हो गया और वे नए विचारों के लिए नई उक्तियाँ गढ़ते और उनको मानते रहे। जाफर (Yafet) का वंश अनेक शाखाओं में बँटा और इसके विशाल जत्थे एशिया और यूरोप के उत्तरी भागों, और नौकायन की आरंभिक अवस्था में पश्चिमी और पूर्वी सागरों के द्वीपों में और उनसे भी आगे फैल गये, इसलिए उसमें कोई कला विकसित न हुई। साक्षरता की उन्हें जरूरत न थी। जैसे जैसे इनके कुनबे बँटते गए, इनके बीच बहुत सारी बोलियाँ पैदा होती चली गईं।
हेम (Ham) कुल के द्वारा सबसे पहले ईरान में ही खल्दियों (Chaldeans) का साम्राज्य कायम हुआ। इन्होंने लिपियों का आविष्कार किया। आकाश के ग्रहों-नक्षत्रों का नाम रखा, भारतीयों को ज्ञात चार सौ बत्तीस हजार सालों की अवधि की गणना की और पुराण कथाएँ गढ़ने की पुरानी प्रणाली आरंभ की जो कुछ तो आख्यानपरक थीं और कुछ अपने ऋषियों और आचार-संहिता का विधान करने वालों के प्रति भक्तिभाव से प्रेरित थीं। समय समय पर ये अनेक देशों और समुद्री क्षेत्रों में फैले और वहाँ अपनी बस्तियाँ बसाईं।
मिस्र, कुश और राम के वंशधर (that the tribes of Misr, Cush, and Rama) अफ्रीका और भारत में बस गए। उनमें से कुछ नौचालन का विकास करने के बाद मिस्र, फीनिस और फ्रीजिया से होते हुए, इटली और ग्रीस में पहुँचे जहाँ पहले से छिट-फुट आबादी थी। इनमें से कुछ को अपने में मिला लिया।
इसी छत्ते के एक झुंड ने उत्तर का रास्ता पकड़ा और स्केंडिनेविया में जा बसा। एक दूसरा आमू से होता इमाउस (Imaus) से काशगर, उइगुर, खता और खोतन से बढ़ता चीन और तनकूट तक जा पहुँचा जहाँ साक्षरता पाई जाती है और उन्होंने झट कलाओं का भी विकास कर लिया।
यह मानना भी अनुचित न होगा कि इनमें से ही कुछ आगे मेक्सिको और पेरू तक जा पहुँचे, जिनमें भारत और मिस्र से मिलते जुलते आदिम साहित्य और पौराणिक आख्यान पाए जाते हैं। खल्दी साम्राज्य को ओसीरिया मे कैयूमर ने ध्वस्त कर दिया, दूसरे निर्वासितों ने भारत में पनाह ली।
रही सेम की औलादें, जिनमें से कुछ पहले से ही लाल सागर के तट पर जा बसे थे। ये सीरिया की सीमा तक के अरब क्षेत्र पर कब्जा जमा बैठे।
खल्दी साम्राज्य को असीरिया के कैयूमर ने ध्वस्त कर दिया, दूसरे निर्वासितों ने भारत में शरण ली।
इन सभी परिवारों के कुछ दिलेर, जोशीले और घुमक्कड़ मिजाज के लोग जो किसी से दब कर रहना पसंद नहीं करते थे, फूट कर अलग हो गए और इन्होंने अपने अलग कुनबे बना लिए और जब तक ये सुदूर द्वीपों या रेगिस्तानों और पहाड़ी इलाकों में बस न गए।
कुछ जत्थे अपने कुल के श्रद्धेय आदि पुरुष के मरने से पहले ही प्रव्रजित हो गए होंगे।
राज्य और साम्राज्य ईसा से पन्द्रह-सोलह सौ साल से पहले कायम न हुए होंगे।
और उससे बाद के पहले एक हजार सालों में कोई ऐसी अतीत गाथा हो ही नहीं सकती थी जिसमें कपोलकथा ( fable) की मिलावट न हों। इसका अपवाद महान आपदाएँ ही हो सकती थीं। जिसे सही अर्थ मे राष्ट्र कहा जा सकता है वह इब्राहिम के की ही देन है।
आज हम इस पर कोई टिप्पणी न करेंगे। इस की हिमायत भी नहीं कि हमने इसके लिए इतना कठोर शीर्षक क्यों रखा।