Post – 2019-09-25

#रामकथा_की_परंपरा(26)
राम वनगमन

रामायण की कहानी में बहुत सारी मिलावट दूसरी शताब्दी ई.पू. से चौथी शताब्दी के बीच की गई, इसलिए अपने वर्तमान रूप में यह विश्वसनीय नहीं है।

कहानी के जिस सत्य से इन्कार नहीं किया जा सकता वह यह कि अयोध्या के राजा दशरथ ने ढलती उम्र में विवाह किया था। नव विवाहिता प्रकृत नियम से पति को समग्रतः पाने की आकांक्षा में अपनी सौतों और उनकी संतानों को मिटा देना और यह संभव न होने पर उनको और उनकी संतानों को उत्पीड़ित और अपमानित करने को तत्पर रहती है। उसी तरह का आचरण यह नई पत्नी भी करती है।

अपने पुत्र को राजा बनाने और उसके राज्य को अकंटक बनाने के लिए वह राज्य के उत्तराधिकारी बड़े पुत्र को उसकी पत्नी के साथ निर्वासित करा देती है। राजकुमार को निर्वासित अवस्था में वह रास्ते से हटाने का भी प्रयत्न करती है।

रामायण को रूपांतरित करते हुए इन कवियों ने इस कटु यथार्थ पर परदा डालते हुए – पितृभक्ति, भ्रातृप्रम, सपत्नी सख्य, सभी विमाताओं द्वारा सभी संतानों को अपनी संतान जैसा स्नेह का आदर्श लादने का भी प्रयत्न किया जिसने संयुक्त परिवार को बिखरने से बचाने में इसने एक भूमिका निभाई हो सकती है।

निर्वासित राजकुमार अयोध्या छोड़ कर किधर जाता है, इसको लेकर दो मत हैं । रामायण के अनुसार वह दक्षिण को जाता है, चित्रकूट में निवास करता है, वहां से भी पलायन करने को विवश होता है और दक्षिण भारत में भटकता रहता है।

दूसरी के अनुसार वह उत्तर की ओर जाता है। दशरथ जातक और उत्तररामचरित दोनों में इसी को चुना गया है। उत्तर जाने की कहानी के पीछे बुद्ध के अपने किसी पूर्व जन्म में राम पंडित होकर जन्म लेना रहा लगता है। उत्तर रामचरित में संभव है इसका कारण नेपाल की तराई में भैसालोटन के पास वाल्मीकि आश्रम होने की मान्यता हो, पर इससे आगे इसका कोई आधार नहीं।

दशरथ जातक से केवल यह सिद्ध होता है कि बौद्ध परंपरा में भी राम को एक असाधारण सूझबूझ वाला ऐतिहासिक चरित्र माना जाता था और साथ ही इनका काल बुद्ध से बहुत पहले माना जाता रहा है।

यहाँ दो प्रश्न पैदा होते है, यह किस काल की या बुद्ध से कितने पहले की घटना है? दूसरे राम क्या सचमुच श्रीलंका तक भी गए थे? इस मामले में रामायण हमारी कोई मदद नहीं करता। हम आज इन दोनों में से पहले का ही समाधान तलाशने का प्रयत्न करेंगे।

यह सर्वविदित है कि दक्षिण भारत में सभ्यता का प्रचार उत्तर भारत की प्रेरणा और प्रभाव से हुआ और इसके बाद भी अनेक द्रविड़-भाषी समुदाय आज तक वनचर अवस्था में रह रहे हैं। इसी का दूसरा पक्ष यह कि दक्षिण भारत में खेती महापाषाणी समुदायों के प्रवेश के साथ आरंभ हुई। इस विषय पर प्रकाशित एक बलॉग के निम्न वाक्यों पर ध्यान दें:
1. Megaliths are spread across the Indian subcontinent, though the bulk of them are found in peninsular India, concentrated in the states of Maharashtra (mainly in Vidarbha), Karnataka, Tamil Nadu, Kerala, Andhra Pradesh and Telangana. इस क्षेत्र की नई रूपरेखा तैयार करके यह कहा जा सकता है कि ये लगभग उसी भूभाग में फैले हैं जिनमें राम सीता की तलाश में भटकते फिरते हैं।

2. In India, archaeologists trace the majority of the megaliths to the Iron Age (1500 BC to 500 BC). कालक्रम की दृष्टि से यह उसी कालखंड में पड़ता है जिसमें रघु के दिग्विजय के संदर्भ में हम कस्सियों की असीरिया में उपस्थिति में चिन्हित कर आए है। इसी में उपनिषद काल को रखा जा सकता है और अपनी हाल की खुदाइयों और उनके विवेचन के बाद बी.बी, लाल राम के काल के विषय में पहुँचे हैं।

3. Based on archaeo-botanical research, Mukund Kajale of University College London posited that megalithic people carried out agricultural activity in both the rabi and kharif seasons. A large variety of grains such as rice, wheat, kodo, millet, barley lentil, black gram, horse gram, common pea, pigeon pea and Indian jujube have been recovered from habitations, showing that the subcontinent has displayed remarkable gastronomic continuity over three millennia. इसमें कालानुसार इन अनाजों का अध्ययन न करके उन अनाजों को भी शामिल कर लिया गया है जिन्हें उन्होंने स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार बाद में अपनाया। इसलिए इससे यह पता नहीं चलता कि मूलतः वे किन अनाजों की खेती करते रहे। महापाषाणी समाधि स्थलों से पता चलता है कि उनका मुख्य आहार चावल था क्योंकि Paddy husk has been found in burial sites, further proof of the megalithic peoples’ commitment towards ensuring their dead a comfortable afterlife.

4. According to Korisettar, the collapse of trade gave rise to a change in the urban character of the Harappan civilization. The Harappans then diffused eastwards and came into contact with the early agricultural settlements in the Gangetic plain and moved southwards, and gradually reverted to a more primitive way of life. This is indicated by the smaller, but greater number of settlements found after 1800 BC, compared to earlier sites. यह आधी खोपड़ी की सोच है। यदि सभ्यता का ध्वंस हो गया तो लोग पूर्व की ओर क्यों भागे? इसका अर्थ कोई प्राकृतिक आपदा है जिससे वह भूभाग अधिक प्रभावित था जिससे उनको भागना पड़ा और जिधर भागे वह उससे कम प्रभावित था। अब इस आपदा से नष्ट नागर सभ्यता को पुनः कृषि की ओर लौटना पड़ता है। इसकी पुष्टि विदेघ माथव (विदेह माधव) की उस कथा से होता है जिसमें विदेह को सदानीरा के पार इसलिए बसना पड़ता है कि उससे पश्चिम मे पहले से कोशल बसे हुए थे।

5. Megaliths in peninsular India are more strongly associated with a characteristic wheel-made pottery type known as Black and Red Ware, which is found across sites. BRW culture was contemporaneous with the Painted Grey Ware culture present in the Ganga valley (1300-600 BC), a proto-urban culture associated with Hastinapur of the Mahabharata by noted archaeologist B.B. Lal. पात्रों की दृष्टि से भी यह उसी काल खंड भूभाग की पुष्टि करता है जिसे हम अन्य कसौटियों से जाँच चुके हैं। यह याद दिलाना जरूरी है कि सभी अध्ययनों में कुछ ऊपर नीचे (+ ओर –
) की गुंजायश रहती है। (Exploring India’s megalithic culture, a riddle set in stone, Updated: 03 Jul 2016, 05:43 PM ISTRajat Ubhaykar,

इस चर्चा में हम केवल राम की कालसीमा का निर्धारण कर सके हैं। उनकी क्रांतिकारी भूमिका को, जिसकी चर्चा हम कल करेंगे, को समझने के लिए इस पृष्ठभूमि का ज्ञान जरूरी है। इतना ही संकेत पर्याप्त है कि दक्षिण भारत को सभ्य बनाने में गंगा घाटी की निर्णायक भूमिका है, जिसके अग्रदूत राम हैं।