कविता सत्य का साक्षात्कार नहीं, कवि के शब्द कौशल की अभिव्यक्ति है, इसके बल पर वह यथार्थ से अलग, उससे उलट संसार को युग सत्य के रूप में पेश कर सकता है और इसके कारण ही विचारों के मामले में कवि सबसे अविश्वसनीय ओर आविष्ट भाषा पर अधिकार के कारण सबसे खतरनाक प्राणी है। यह प्रतीति मुझे विनोद मे निम्न पंक्तियाँ लिखते हुए हुई:
हर तरह की छूट थी
बस हँसना मना था उस राज्य में
कोई किसी बात पर हँसे
बादशाह को खबर लग जाती:
‘लोग हँस रहे हैं’
यह खबर दबा दी जाती
क्यों हंस रहे हैं।
फाँसी का रास्ता हँसी से गुजरता था
उस राज्य में।