चुप रहो! खुश रहो!!
आत्महत्या के असंख्य तरीके हैं फिर उस सच को कहकर क्या मरना जिसे सुन कर लोगों के मन में दहशत फैल जाए कि इस सच को कहने वाला मारा जाता है और आत्महत्या का ‘गौरव’ भी नहीं पाता, क्योंकि गोली मारने का श्रेय तो कोई दूसरा ले जाता है। आप सिर्फ व्याकरण के वर्तमान काल से भूतकाल में जगह खाली मिली तो पहुंच जाएंगे, खाली न मिली तो प्रेतयोनि में भटकते यमलोक में जगह खाली हुई और वेटिंग-लिस्ट में आपका नंबर कितना पीछे है इसकी पड़ताल करते हुए किसी सच बोलने वाले के सच बोलने के ठीक मौके पर सवार होकर उसकी जीभ ऐंठते रहेंगे। झूठ बोलने के अनेक फायदे हैं, चुप रहने के असंख्य।