Post – 2019-05-03

लो आज भी अहले वतन पहुंचे जहां कल था
लो आज भी मंजिल पर साथ कोई नहीं है ।
तुम थे तो कभी, आज पास तुम भी नहीं हो
कितने थे साथ, आज साथ कोई नहीं है ।
है मंजिले मकसूद भी बस इन्तजार में
अब उसको बसाना है साथ कोई नहीं है।।