जिसे आप भारत की कूटनीतिक सफलता मानते हैं वह भारत की, खासकर मोदी की कूटनीतिक सफलता है, इस पर दो राय नहीं। अमेरिका ने दो टूक शब्दोें सौदेबाजी करते हुए कहा कि हम इस सवाल पर मजबूती से तुम्हारे साथ हैं इसलिए ईरान से तेल खरीदने पर हमारी पाबंदी पर तुम भी मेरा साथ दो। पर यह नहीं भूलना चाहिए कि चीन के रुख में बदलाव इमरान खान के बीजिंग यात्रा के बाद आया है जो इस बात का पक्का प्रमाण है कि वह सच्चे दिल से आतंकवाद से निजात पाना चाहते हैं जिसकी भारत से अधिक पाकिस्तान को कीमत चुकानी पड़ी है। यह हमारे आपसी रिश्तों में समझदारी के एक नए दौर का आरंभ हो सकता है। हम मोदी और इमरान दोनों को बधाई दे सकते हैं।