यह पैरडी अभिनंदन की वापसी के निहित संदेश के बावजूद सीमा पर गोलाबारी जारी रहने के यथार्थ से खिन्न होकर की तो थी, पर सार्वजनिक नहीं की थी। आज दूसरे काम में लगा हूं, सो अकाले शालिचूर्णम्ः
हसरत ही सही हँसने हँसाने के लिए आ।
अपना नया भूगोल पढ़ाने के लिए आ।
हसरत ही सही।।
कहने को तो इस्लाम का मकसद है सलामत।
कायल नहीं जो उनको मिटाने के लिए आ ।
हसरत ही सही।।
लब इतने हैं शीरीं कि उलट जाता है मानी
तू क्या है, क्यों ऐसा है बताने के लिए आ।
हसरत ही सही।।
बन्दों को गुलामी के हैं कुछ फायदे मालूम।
खुद्दार हैं जो उनको सताने के लिए आ।
हसरत ही सही।।
मुझको अमन पसंद है तुझको कफन पसंद
मेरा अमन सुकून मिटाने के लिए आ ।
हसरत ही सही।।
फसले बहार रंगों का सैलाब है गुलशन।
हर रंग को बदरंग बनाने के लिए आ ।
हसरत ही सही।।
गोलों के बीच मीठी गोलियों की पेशकश।
शक्कर का ग्राफ और उठाने के लिए आ।
हसरत ही सही।।
आजाद नहीं तू है जमाने को है मालूम।
पर ख्वाब हैं आजाद, दिखाने के लिए आ।
हसरत ही सही।।
तोपों के रुख को देख बमों के असर को देख
दुनिया के रुख को देख, जमाने के लिए आ।
हसरत ही सही।।