मुझे किसी ने मेसेज के रूप में एक वीडियो भी भेजा जिसे कारीगरी से तैयार किया गया है। इस दुस्साहस के खिन्न हो कर मुझे यह कटु टिप्पणी करनी पड़ीः
जिस चोर को रंगे हाथ पकड़ा गया हो, वह उस व्यक्ति को जिस से डर कर खुले हाथ, सरकार को इशारों पर नचाने वाले चोर जान बजा कर भागने लगे और उन्हें वहां से भी पकड़ लाने वाले चौकीदार को चोर कहने लगे तो इसे जनता नहीं मानेगी पर यह पहचान लेगी कि चोरों और ठगों के गिरोह में कौन कौन शामिल हैं। कलाकारी जितनी ही जोरदार होगी, फरेब करने की उनके कौशल को ही प्रमाणित करेगी। जनता झांसे में नहीं आती, चेहरे पहचानती है। कमीनगी को भी उनकी भाषा से भांप लेती है।