रोशनी घट रही है बढ़ते जा रहे हैं चिराग
इस अंधेरे केअगिन आफताब है शायद।
आप हैं हम हैं और हम से करोड़ों की कतार
हमारे तंत्र का यह यह राष्ट्रगान है शायद।।
रोशनी घट रही है बढ़ते जा रहे हैं चिराग
इस अंधेरे केअगिन आफताब है शायद।
आप हैं हम हैं और हम से करोड़ों की कतार
हमारे तंत्र का यह यह राष्ट्रगान है शायद।।