यातनाओं का मांगिए न हिसाब
वे अगर हैं तो मैं भी हूं साहब।।
पूछते हैं कि है गुजरी कैसे
सलाह दें कि क्या कहूं साहब।।
चुप लगाना भी हो साजिश में शुमार
चुप रहूं या कि कुछ कहूं साहब?
मौत मांगें तो ज़िन्दगी हाजिर
मिल गई इसका क्या करूं साहब।।
जिंदगी से मिली फटी चादर
काम बस एक था रफू साहब
दूरियां फिर भी मिट नहीं पाईं
मैं हूं मै और तू है तूं साहब।ॉ