इजाजत हो तो हम भी मुस्करा कर देख लें साहब
सुना है मुस्कराने पर चटक कर फूल खिलते हैं
सुना है आप भी हैं मुस्कुराते और हंसते भी
मगर गमगीन हो जाते हैं जो भी लोग मिलते हैं।।
सुना है आप के दफ्तर में है हर चीज हाजिर पर
पहुंच जिनकी है उनको ही सही सामान मिलते हैं।
यह तुकबंदी तो यूं ही बैठे ठाले हो गई लेकिन
कहा जाता है ऐसे भी हजारों राज खुलते हैं।।
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इबादत की जरूरत तो न थी, आदत का क्या कीजे
खुदा खुद को समझकर, आईने को सर झुकाते हैं।