हमें भी जानना था लोग क्यों बर्बाद होते हैं
हमें भी जानना था इश्क का अंजाम क्या होगा ।।
अजीजों से उलझते , पूछते थे तुम ही बतलाओ
हुए रुस्वा, हुए बेघर, फिर इसके बाद क्या होगा।।
पता यह इत्तफाकन चल गया तंजों से लोगों के
मिटे जिसकी अदा पर वह निहायत बेवफा होगा।।
इसे सच मानकर दो चार डग आगे बढ़े ही थे
कभी सोचा नहीं था आपका ही सामना होगा।।