जितने खुदा बना के पूजते थे हम नदीम
उतनी जगह नहीं थी किसी आसमान में।
जिस दर से बढ़ रहे हैं आदमी पर आदमी
उतनी जगह नहीं है हमारे जहान में।
जितने खुदा बना के पूजते थे हम नदीम
उतनी जगह नहीं थी किसी आसमान में।
जिस दर से बढ़ रहे हैं आदमी पर आदमी
उतनी जगह नहीं है हमारे जहान में।