कुछ सोच कर कहते तो पहले से पता होता
हम कह कर सोचते हैं, ‘यह किसने कहा होगा?’
ऐ हसरते बर्वादी बस तू ही समझती है
हर दर्द मेरा कितने पर्दों मे छिपा होगा ।।
कुछ सोच कर कहते तो पहले से पता होता
हम कह कर सोचते हैं, ‘यह किसने कहा होगा?’
ऐ हसरते बर्वादी बस तू ही समझती है
हर दर्द मेरा कितने पर्दों मे छिपा होगा ।।