Post – 2018-08-09

जिन्दगीआप की देखिए
कितनी आधी अधूरी रही।
जिससे जितनी निकटता बढ़ी
उससे उतनी ही दूरी रही।
यूं तो पाने को था कुछ नहीं
पर बचाने की जिद कम न थी
जब झुकाना पड़ा सर कभी
तो अकड़ भी जरूरी रही।।