#विषयान्तर
दूरदर्शन को मोदीदर्शन न बनाएं
घटनाओं का होना, दुर्घटनाओं का बढ़ना, समाचारों का लोप, विचारों की दरबाबंदी मिलकर एक ऐसे अंधलोक की सृष्टि करते हैं जिसमें मनुष्य की भावुकता को मनजाही हदों तक उभारा और उनका विनाशकारी उपयोग किया जा सकता है। यह सचेत रूप में हो या अचेत रूप में, परिणाम एक ही होता है। हम इसी दौर से गुजर रहे हैं। निजी संचार माध्यमों के बाजारीकरण के बाद कोई भी पैसा देकर उनसे किसी भी विचारयो व्कायभिचार का प्रसार करा सकता है, रुचि को किसी भी दिशा में मोड़ सकता है, विकल्प के अभाव में कुरुचिपूर्ण, अश्लील, उपद्रवकारी सामग्री की आदत पैदा कर सकता है और हम इन योजनाओं के पीछे काम करने वाले व्यक्तियों के हाथ में नाचने वाली कठपुतली जैसा आचरण करने को विवश हो सकते हैं। समाचार पत्रों का हाल दृश्य और श्रव्य माध्यमों से अधिक अच्छा नहीं है।
मैं, सूचना के लिए पहले केवल दूरदर्शन को देखता था। अब दूरदर्शन पर केवल मोदी जी दिखाई देते हैं। अपने विरुद्ध विचारों का प्रसार करने का इससे अधिक मूर्खतापूर्ण कोई तरीका नहीं हो सकता। दूसरे दल, आपस में मिलकर या अलग अलग जो कुछ कर रहे हैं उसका लाभ भाजपा को मिलेगा इसे वे नहीं समझते, और भाजपा अपने प्रचार के लिए जो कुछ कर रही है उसका नुकसान सबसे अधिक उसी को उठाना पड़ेगा यह मुझे पक्का विश्वास है ।
प्रचार की अति और आत्म प्रशंसा विरक्ति पैदा करते हैं, इसका पाठ भाजपा को, इंडिया शाइनिंग के परिणाम से पढ़ लेना चाहिए था। वास्तव में उन दिनों जनमत का झुकाव भाजपा की ओर था। इसी से उत्साहित होकर अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही वाजपेई जी ने निर्वाचन का विकल्प चुना था। परंतु प्रचार में दूरदर्शन तथा अन्य सूचना माध्यमों से इंडिया शाइनिंग का जो अंधड़ चलाया गया, उसके परिणाम का पूर्वानुमान करते हुए मैंने एक बहुत नाजुक अवसर पर, बहुत गलत तरीके से, कुछ अशोभन लहजे में, तत्कालीन एनसीईआरटी के निदेशक से कहा था -आपको केवल 3 महीने मिले हैं इस बीच इतिहास की पुस्तक में जो कमियां हैं उन्हें दुरुस्त करा लें जिससे किताब आगे भी बढ़ाई जा सके अन्यथा सत्ता बदलने वाली है और यह किताब हटा दी जाएगी ।
इस अवसर पर दवे जी, विजय बहादुर सिंह और चित्रा मुद्गल भी उपस्थित थे। निदेशक महोदय ने जितनी शालीनता से मेरी कटूक्ति को सहन कर लिया था उसके कारण मेरे मन में एक व्यक्ति के रूप में उनका सम्मान सदा के लिए बढ़ गया यह अलग बात है।
परंतु जब सभी लोग भाजपा की जीत के सपने देख रहे थे, मैं इंडिया शाइनिंग के अति प्रचार के कारण भाजपा के संकट को निश्चित मान रहा था। आज भी सभी अपनी अपनी भाषा में स्वीकार करते हैं कि मोदी का कोई विकल्प नहीं है। अनेक गलतियों के बाद भी मोदी ने जो काम किए हैं वे उन गलतियों से कई गुना इष्टकर हैं। मैं उन लोगों में हूं जो मानते हैं कि मोदी को छोड़ कर किसी के हाथ में भारतीय शासन का जाना देश के लिए अनिष्टकर है इसलिए मैं चाहता हूं कि मोदी और भाजपा के लोग प्रचार के गलत हथकंडे न अपनाएं, अतिप्रचार से बचें। उनके प्रचार का काम उनके विरोधियों के कथन और काम स्वयं करते जा रहे हैं और आगे भी करेंगे। मेरा एक छोटा सा स्वार्थ है कि दूरदर्शन को दूरदर्शन रहने दिया जाए मोदीदर्शन न बनने दिया जाए।