Post – 2018-04-02

भाषाविमर्श का गुंजलक

अकेले आदमी की सेना नहीं होती, जो काम सेना का है उसे अकेला कोई व्यक्ति करने के लिए कूद पड़े तो इसे शौर्य तो कहा जाएगा, समझदारी नहीं। परंतु संकट की स्थिति ऐसी ही होती हैं जब दूसरों के आलस्य या असहयोग के कारण यह काम किसी व्यक्ति को ही करने को बाध्य होना पड़ता है। वह दूसरों के मन में समाए हुए हैं भय को दूर कर सके और दूसरोंमें उसका साथ देने की हिम्मत पैदा हो सके तो भी बड़ी उपलब्धि है। मैं 10 साल से इस बात के लिए प्रयत्नशील रहा हूं कि दूसरे भी इस काम के महत्व को समझें, और इसमें रुचि दिखाएं, परंतु इमें सफलता नहीं मिली। कई बार जिन के समक्ष यह प्रस्ताव रखा उन्हें अच्छा नहीं लगा । जिस कारण मुझे यह शिकायत हो रही है, वह यह है कि आपके पास दृष्टि तो हो सकती है परंतु आधारसामग्री एकत्र करने का और उसे तालिका बद्ध करने का काम एक कार्यदल के बिना संभव नहीं हो सकता । यह काम अपेक्षित स्तर का तो हो ही नहीं हो सकता । अत: अपने ही काम से असंतोष बना रह जाना स्वाभाविक है । पहले मेरा इरादा यह था की विरोधी आशय वाले सभी शब्दों की एक तालिका प्रस्तुत करते हुए मैं अपनी बात स्पष्ट करूं, परंतु एक तो व्यवधान के कारण और दूसरे इस काम की समयसाध्यता के कारण जिन शब्दों को चुना उनको भी क्रमबद्ध नहीं कर सका और अब जब क्रमबद्ध करने चला तो एक ही ध्वनि केश्रुतिभेद के कारण उससे उत्पन्न शब्दों की संख्या और की दिशाएं इतनी अधिक हो गई विश्वास नहीं होता कि उन सभी शब्दों को समेट सकूंगा जिनका इरादा किया था।

पानी की आकांक्षा कैसी से जो ध्वनियां निकलती हैं उनका वाच्य अनुकरण पी, पा, पे, रूप में किया गया लगता है। अतः प/पा =जल, पी = 1. जल, 2. पान कर, पेय = जल, पीतु= जल, पीवा = जल,

पय/ पयस = पानी, दूध,
पा= पानी
पायस = जल/दूध से सम्बन्धित , खीर (पर अंग्रेजी pious – पवित्र से भी इसका कोई नाता है या नहीं इसकी पड़ताल में जाने की फुर्सत मेरे पास नहीं है।
पाल – पानी, दूध, पालन करना,
पालक – 1. पालने वाला,
पालना – 1. झूला, 2. पालन करना
पालकी, झूले के आकार का वाहन जिसे मनुष्य कंधे पर ढोते थे।
पाला – कियारे या खेत के पानी को बहाने से रोकने के लिए बनाई गई मेडबंदी। 2. कबड्डी आदि खेलों के लिए किया गया सीमांकन, 3. मुकाबला, सामना
पाला – तुषार,
पारा – द्रवित रसायन
पारी – जलराशि, परिवा, प्याला,
पाना – (पंजाबी) उड़ेलना, डालना
पाना – प्राप्त करना
पावना – प्राप्त धन या बकाया
पावन – पवित्र
पासि – पिलाओ,
पाहि – (पानी पिलाकर) प्राणरक्षा करो
पास – समीर उठा दरवाजे से निरहुआ बनाई जाती है
आदि।
पिच्छल = फिसलनदार
पी = पान कर
पीत = 1. पिया हुआ, 2. पिए हुआ, 3. रंग विशेषस, 4. यह सभी वस्तु के साथ पीलेपन का संबंध हो उसका पूर्वपद (पीतांबर. पीतदारु)
पीत / पीला = रंग विशेष
पीता = हल्दी, गोरोचना, आदि औषधियां
पपीता =
पीति = पीने की क्रिया, हाथी का सूंड़, गमन, सराय ( जहां खाने-पीने, ठहरने की व्यवस्था हो)
पीतोदक = डाभ, कच्चा नारियल
पीलिया = व्याधि विशेष
पीन = द्रव (पानी, दूध ) से भरा हुआ, पीनता – मोटापा,
पीवर = गोल मटोल,
पित्त = अम्ल;
पीक = पान खाने के बाद मुंह में भरा हुआ लुबाब
पीप, पीब = मवाद
पीलु (फा. पील) = हाथी
पीयूष = जल, दूध, अमृत ( पीयूष में दो जलवाची शब्द है। पी और उस् (उष्) । संस्कृत पंडितों की पद्धति से चलें तो उष् का अर्थ होगा तप्त करना, जलाना। उष् दाहे । इसी मूल से संस्कृत का उषा और ऊष्ण शब्द निकले हैं। उषः काल अपने शीतल मंद समीर के लिए जाना जाता है, गर्मी की रातों में भी इसमें शीतलता रहती है। ऐसी धातु से इसका व्युत्पादन कुछ अटपटा लगता है। अब हम उस नियम की ओर लौटे हैं जिसमें मैंने सुझाया था आग के लिए संज्ञा जल की ध्वनियों से ग्रहण की गई है तो हमें दोनों का अर्थ समझने में आसानी होगी। यह उस् वही मूल है जिससे हिंदी का ओस भोजपुरी का उसिनल – उबालना, दोनों निकले हैं अर्थात् जल तत्व जिससे ऊष्म, ऊष्ण और ऊसर – दग्ध भूमि के के लिए भी संज्ञा है निकली है । परंतु अब इसका अर्थ उष्णता और शीतलता दोनो है, न कि केवल उष्णता । अब हम जिस नतीजे पर पहुंच रहे हैं वह यह है कि अनुनादी स्रोत की ओर ध्यान न देने के कारण जिन धातुओ की उद्भावना की गई उनसे हम न तो अर्थविकास को समझ सकते हैं न रूपगत परिवर्तन को।
हमारा उद्देश्य निर्देशक है न कि परिसमापी। अतः हम दूसरी ध्वनियों को को छोड़ देंगे और जल के अन्य पर्यायों पर विचार करेंगे जिनमें एक और तो उन्हीं का कुत्सित अर्थ है और दूसरी तरफ जल। उदाहरण के लिए पुरीष जिसका अर्थ मल होता है और दूसरी तरफ जल, ऋ. सरयू पुरीषिणी = सुजला सरयू। पय =जल, पूय= पीब, मवाद, पू= जल, पुड़ि – सुराही, मशक, पुट = पानी, पानी का छींटा, पुटक = कमल पुटिया = छोटी मछली, पुटकी= मोटरी, पुण्य – जल पिला कर प्यासे को तृप्त करना, लोकहित, पुत> पूत>पुत्त> पुत्र = संतान, पूत = सड़ा हुआ। मूत – पानी, जीमूत= जीवनदायक जल, jजीमूतवाहन = बदल, लीद – पानी, लिद्दर – नदी विशेष, लीद, घोड़े की, लिथडना, अंग्रजी का लिटर = जानवर की गंदगी, लीटर = द्रव के माप से इसका कोई सम्बन्ध है या नही, पड़ताल करनी होगी.