मैं अपने विचार रखते हुए समय समय पर इस बात की मांग करता हूं कि पाठक मुझसे सहमत होने की जगह इस पर विचार करें और कमियां निकाले, क्योकि मैं मानता हूूं असहतियों का बना रहना सही सिद्ध होने से अधिक जरूरी है। यह विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अनिवार्य शर्त है। वामपंथियों और संघियों में अनेक अन्य समानताओं के साथ यह भी एक समानता हे कि वे असहमति नहीं झेल पाते और इनकी असहिष्णुता इतनी बढ़ जाती है कि ये भाषा और शिष्टाचार की मर्यादा तक भूल जाते हैं। असहमति न झेल पाने वालों को अवरुद्धमनस्क मानता हूूं, पर इस शब्द का अंग्रेजी अनुवाद करके न पढ़ें।