अभी इस आग को कुछ और गलने दो।
लवा बन जाय तो बाहर निकलने दो।।
दरकने दो उपेक्षा की शिलाओं को
हवा गुम हो गई है, रुख बदलने दो ।।
अभी इस आग को कुछ और गलने दो।
लवा बन जाय तो बाहर निकलने दो।।
दरकने दो उपेक्षा की शिलाओं को
हवा गुम हो गई है, रुख बदलने दो ।।