Post – 2017-12-09

अभी इस आग को कुछ और गलने दो।
लवा बन जाय तो बाहर निकलने दो।।
दरकने दो उपेक्षा की शिलाओं को
हवा गुम हो गई है, रुख बदलने दो ।।